भारतीय किसान संघ ने कृषि अनुसंधान केंद्र में सौंपा ज्ञापन

भारतीय किसान संघ ने एक ज्ञापन महाप्रबंधक हिमांशु पाठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद(ICAR) नई दिल्ली के नाम टीकमगढ़ कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बी. एस . किरार को सौंपा

जिसमें भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय प्रबंधन समिति बैठक (जिसमें प्रत्येक राज्य के अध्यक्ष महामंत्री कोषाध्यक्ष एवं संगठन मंत्री उपस्थित रहते हैं) इस बार भुवनेश्वर उड़ीसा में 27-28 जुलाई 2024 को बैठक संपन्न हुई ।
इसमें प्रमुख दो विषयों पर गंभीरता से चर्चा कर करने के उपरांत सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुए ।


उनमें से एक प्रस्ताव – “भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद किसान हित की आड़ में संदेश समझौता से बाज आए” हैं ।देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक कृषि शिक्षा, शोध एवं प्रचार -प्रसार का संस्थान (ICAR) है, जिसके अंतर्गत हजारों की संख्या में वैज्ञानिक कई दशकों से कार्यरत हैं। जिन वैज्ञानिकों का भारत और भारत के बाहर अनेक देशों में फसल विविधीकरण , खाद्य सुरक्षा ,कई देशों में आर्थिक विकास में सहयोग रहा है।


पता नहीं क्यों पूरे (ICAR) की प्रतिभाओं को शर्मसार करते हुए कई देशी -विदेशी कंपनियों के साथ (ICAR) समझौता करने लगा है? क्या (ICAR) चाहता है कि कंपनियां अपना कागज- अपना शोध पत्र दाखिल करें और (ICAR) के वैज्ञानिक अपनी प्रतिभा, योग्यता व कौशल को ताक में रखते हुए इन्हीं शोध पत्रों को स्वीकृति दें।


सभी को पता है कि यह सभी कंपनियां, शोषण शिकारी व्यापार करने में माहिर हैं ।अभी तक भारत का किसान जो की करोड़ों की संख्या में है ,(ICAR) के ऊपर विश्वास व भरोसा करता था ‌। यह भरोसा (ICAR) क्यों तोड़ना चाहता है? ऐसे अनेक प्रश्न इन्हीं समझौतो को लेकर भारत के किसानों के मन में है और क्योंकि भारतीय किसान संघ देश के करीब एक लाख गांव से लेकर अधिकतर जिलों में और सभी राज्यों में अपने संगठन का विस्तार करते हुए किसानों की मनोभावना समझते हुए” देश हित के अंतर्गत किसान हित” के लिए कार्यरत है ,तब भारतीय किसान संघ के सामने ऐसे समझौतो के खिलाफ आवाज उठाने के वजह अन्य कोई रास्ता नहीं बचता है। इसलिए हम मांग करते हैं कि ये सभी समझौते रद् किए जाएं। किसानों के बीच में पुनः विश्वास स्थापित करने के लिए व्यापक बहस और चर्चा करने के बाद ही किसी समझौते के बारे में सोचा जावे और केंद्र सरकार से आग्रह है कि सरकार (ICAR) व संबंधित शोध केंद्रो को पर्याप्त वित्तीय प्रावधान करें। तथा बजट में उल्लेखित निजी कंपनियों को शोध के लिए जो प्रावधान किए गए हैं ,उनको भी शासकीय शोध संस्थानों को उपलब्ध करावे। प्रतिलिपि:-
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ,भारत सरकार, नई दिल्ली ।वित्त मंत्रालय ,भारत सरकार ,नई दिल्ली । आदरणीय निर्देशक महोदय ,राज्य संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) ।


ज्ञापन में भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही ।

मनीष सोनी की रिपोर्ट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *