टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 320वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘बसंत पंचमी’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार उमाशंकर मिश्र (टीकमगढ़़) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में युवा कवि श्री रामानंद पाठक ‘नंद’ (नैगुवाँ) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़) एवं भगवत नारायणी ‘रामायण’(देवीनगर) रहे।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्जवलन के बाद प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती बंदना पढ़ी-
कृष्णकांत तिवारी (बल्देवगढ़)ने रचना पढ़ी-छलनी सा क्षीण विर्दीण हृदय,कौन करे इसकी भरपाई।
लिखते-लिखते कलम फेंक दी,पर हृदय वेदना लिख ना पाई।।
नदनवारा के शोरामदांगी‘इंदु’ने पढा-बंसत रितु आई रे,पवन पुरबाई रे,
मंद मंद शीतल पवन मस्तानी।
नैगुवाँ के रामानंद पाठक‘नंद’ने पढा-उमंग अंग अंग उमरानी,चलतन पवन सुहानी।
भाव विभोर लिलोर उमर में, तन की तपन सिरानी।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा (मड़ाबरा,उ.प्र.) ने सुनाया-आया बसंत छाया बसंत।
पतझड़ में रंग लाया बसंत।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे-बंसत ऋतु में खिल उठे,चारों तरफी फूल।
स्वागत करते सब मिले करती प्रकृति कबूल।।
युदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने पढ़ा-जिसके लिए पैदा हुआ है वहीं कर।
अपना नाम कुछ रोशन कर।।
रश्मि गोइल ने कविता पढ़ी- धर्मरक्ष, धृतराष्ट्र सभा में,नहीं धृष्टता रोक सके।
एक महाबली पर प्रश्नचिन्ह्, जो चीरहरण ना रोक सके।।
मीनू गुंप्ता ने पढ़ा-यँू तो कहते है जिस घर में बेटी नहीं होती वह घर-घर नहीं होता।।
उमाशंकर मिश्र ने पढ़ा- अब दिनरात बसंत के आवे। कैऊ कैऊ रंग दिखावें।
इनकम बारे गणित लगा रय,कितनों टेक्स चुकावे।।
प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) ने पढ़ा-जहाँ पत्थर पे गेहूँ उगता रस्ता होती पगडंडी,
वो धरती बुन्देलखण्डी है।
रामसहाय राय (रामगढ़) ने कविता पढी- ब्रज की गलियों में बसंत,
कलियन में फलन में बगरो बसंत है।
एस.आर.‘सरल’ ने रचना पढ़ी – कलियन करें भँवर गुंजार,झारे कब आ हों सावरिया।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव‘पीयूष’ ने रचना पढ़ी – जे आ गय है रितुराज,हरीरे पीरे पट फहरा रहे।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -आया बसंत आया बंसत,जीवन अनंत लाया बसंत।।
शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी-प्यारा मौसम बसंत का आया। गीत कोयल ने प्यार का गाया।।
रविन्द्र यादव ने रचना पढ़ी-हम तो घर से चले थे यूँ ही बेखबर, पूछते-पूछते आप तक आ गए।
आप मिल जायेगे हमने सोचा न था,भाग्य तो देखिए आप टकरा गए।। इनके आलावा भगवत नारायण‘रामायणी’(देवीनगर),डीपी. यादव आदि ने अपनी रचनाएँ एवं विचार रखे। गोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
मनीष सोनी की रिपोर्ट