पदमश्री से सम्मानित प्रख्यात सिन्धी साहित्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी हूंदराज दुखायल की याद में बीती शाम स्थानीय सिन्धी धर्मशाला में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
सिन्धी साहित्य अकादमी म.प्र.द्वारा पूज्य पंचायत सिन्धी समाज टीकमगढ़ के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का आरंभ वरुणावतार श्री झूलेलाल जी की आरती के साथ हुआ,इसके बाद गायक परसो नाथानी और नरेश वलेचा ने हूंदराज दुखायल के लिखे गीत “साईं ओ साईं, साईं मेहर वसाईं…” की मधुर प्रस्तुति दी। परसो नाथानी ने इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए “पहाड़नि जे पोयां हुयूं ककरनि जी कतारूं…” गाकर उपस्थित श्रोताओं को प्रकृति की गोद में पहुंचा दिया।
माहौल को बदलते हुए भोपाल से आए कवि कन्हैयालाल मांदो ने अपनी कविता के माध्यम से बताया कि “दामन जहिंजो दागनि हाणो,उहो लेखिजे थो अजु राणो…”इसके बाद उन्होंने ग़ज़ल प्रस्तुत की जिसका मुखड़ा था “जिस्म पूरो बरी रहियो आहे,माण्हूं कींय कींय मरी रहियो आहे..”
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए गायक नरेश वलेचा ने दुखायल के लिखे देशभक्ति गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी जिसके बोल थे “ही मुहिंजो वतन मुहिंजो वतन मुहिंजो वतन….”
कवि ओमप्रकाश टहिल्यानी’पखी’ और कवियित्री हर्षा मूलचंदानी ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं की वाहवाही लूटी।
इस दौरान कहानीकार समीक्षा लच्छवानी ने स्त्री जीवन की पीड़ा को बयां करती अपनी कहानी “पप्पी” से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के दौरान श्रोताओं ने हूंदराज दुखायल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देकर पुरस्कार भी प्राप्त किए।
स्वागत उदबोधन पंचायत अध्यक्ष किशोर रामचंदानी ने दिया।इस अवसर पर सिन्धी साहित्य अकादमी म.प्र.के निदेशक राजेश कुमार वाधवानी सहित सिंधी समाज अध्यक्ष किशोर रामचंदानी परमानंद हरदासानी सोनू संतकृपा महेश भागवानी जीतू भागवानी किशन वकील साहब मोहन लाल गुरनानी दयाराम गुरनानी माधुमल कानानी विशेष रूप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन हर्षा मूलचंदानी ने किया और आभार प्रकाश सेवानी ने व्यक्त किया।
मनीष सोनी की रिपोर्ट