टीकमगढ़ में आयोजित ICJS कार्यशाला: न्याय प्रणाली के डिजिटलीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

दिनांक 14 मई 2025 को जिला पुलिस कंट्रोल रूम, टीकमगढ़ में ICJS (Integrated Criminal Justice System) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में मुख्य न्यायायिक मैजिस्ट्रेट टीकमगढ़, एवं पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह मंडलोई मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम न्यायिक प्रक्रिया को तकनीकी रूप से सशक्त करने एवं विभिन्न घटकों को एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा।

कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीताराम, रक्षित निरीक्षक कैलाश पटेल, जिला अभियोजन अधिकारी जैन , जिला चिकित्सा विभाग से डॉ0 पी.के. माहौर, डॉ अंकुर साहू, डॉ डी. एस. भदौरिया, समस्त थाना प्रभारी, समस्त चौकी प्रभारी, प्रधान आरक्षक सुनील प्रजापति, (सीसीटीएनएस), प्रधान आरक्षक रत्नेश बेड़ियां (सीसीटीएनएस), जिला जेल स्टाफ एवं पुलिस विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी सहित लगभग 50 से अधिक लोग उपस्थित रहे।

➡️कार्यशाला में प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की गई:

👉न्यू क्रिमिनल लॉ एवं इंटीग्रेटेड सिस्टम: जांच, अभियोजन, न्यायालय एवं जेल प्रणाली के मध्य समन्वय हेतु डिजिटल एकीकरण।

👉ई-कोर्ट, ई-समन्स और वॉरंट मॉड्यूल: विधिक दस्तावेजों की प्रक्रिया को पूर्णतः ऑनलाइन करना।
हॉस्पिटल इंटीग्रेशन (MedLeaPR): MLC एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ICJS से जोड़ना।

👉ई-प्रिज़न और ऑनलाइन पेशी: अंतर-जिला एवं अंतर-राज्यीय न्यायिक पेशियों को डिजिटल माध्यम से सुचारु रूप से संचालित करना।

👉साक्ष्य ऐप एवं ST/SC अपराध मॉड्यूल: साक्ष्य संकलन में पारदर्शिता और संवेदनशील वर्गों से जुड़े मामलों की डिजिटल निगरानी।

➡️ पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह मंडलोई का वक्तव्य

पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह मंडलोई ने बताया कि ICJS प्रणाली कानून व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी एवं प्रभावी बनाएगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जिले के सभी IOs (Investigating Officers) को टैबलेट प्रदान किए जा रहे हैं और उन्हें नियमित प्रशिक्षण देकर इस प्रणाली के लिए दक्ष बनाया जा रहा है।

➡️ प्रियंक दुबे मुख्य न्यायायिक मैजिस्ट्रेट टीकमगढ़ का महत्वपूर्ण वक्तव्य:

कार्यशाला के दौरान प्रियंक दुबे मुख्य न्यायायिक मैजिस्ट्रेट टीकमगढ़ ने कहा कि “डाटा ऑपरेटर इस सिस्टम की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। प्रत्येक एंट्री सटीक एवं समयबद्ध होनी चाहिए, क्योंकि यही डाटा आगे चलकर न्यायिक प्रक्रिया की नींव बनता है।”

उन्होंने ICJS प्रणाली की बारीकियों को रेखांकित करते हुए बताया कि “यह प्रणाली पेपरलेस न्याय प्रक्रिया की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया भी सरल और पारदर्शी बनेगी।”

उन्होंने कहा कि “हमारा उद्देश्य यह होना चाहिए कि कोई अपराधी कानून से बच न सके और किसी निर्दोष को कभी सजा न हो।” साथ ही, कोर्ट में स्कैनिंग प्रक्रिया की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखने पर भी उन्होंने बल दिया।

तकनीकी समस्याओं की पहचान कर उनके समाधान के लिए कार्य किया जा रहा है, जिससे प्रणाली का क्रियान्वयन अधिक सटीक और उपयोगी सिद्ध हो सके। यह कार्यशाला जिले में न्याय प्रणाली को डिजिटल युग में सुदृढ़ करने की दिशा में एक सार्थक और प्रभावशाली प्रयास होगा ।

मनीष सोनी की रिपोर्ट

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