आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का माध्यम है संगीत – राज्य मंत्री लोधी

संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने कहा कि दार्शनिक और आध्यात्मिक परम्परा में संगीत का बहुत महत्व है। संगीत हमारी परम्परा का अभिन्न अंग है। यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का माध्यम है। संगीत की उत्पत्ति ब्रह्म जी ने की थी। उन्होंने इसका ज्ञान शिव जी को, शिव जी ने सरस्वती जी को, सरस्वती जी ने नारद जी को और फिर गंधर्व व अप्सराओं को संगीत का ज्ञान प्राप्त हुआ। राज्य मंत्री लोधी भारत भवन के अंतरंग सभागार में पंडित नन्द किशोर शर्मा स्मृति समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्य मंत्री लोधी ने कहा कि वेद हमारी संस्कृति और परम्परा के आधार हैं, जिसमें सामवेद संगीत को समर्पित है। ईश्वर की उपासना का सबसे सरल माध्यम संगीत है। संगीत के सातों स्वर वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित हैं। पण्डित नंदकिशोर शर्मा जी का नाम अनहद के आकाश में प्रकाश की तरह है, जो कई पीढ़ियों को प्रकाशवान करेंगे। वे संगीत के सच्चे साधक थे, जिन्होंने संपूर्ण जीवन संगीत को समर्पित कर दिया। राज्य मंत्री लोधी ने संगीत को समर्पित महान विभूति नन्द किशोर शर्मा को नमन किया।

मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के लिए उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा सुप्रसिद्ध संगीतकार पण्डित नन्दकिशोर शर्मा की स्मृति में दो दिवसीय भारतीय शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य पर केन्द्रित कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में संचालक संस्कृति एन.पी. नामदेव और अकादमी की निदेशक वंदना पाण्‍डेय भी विशेष रूप से उपस्थित रही। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन कर पारम्परिक तरीके से किया गया। इस अवसर पर पण्डित नंदकिशोर शर्मा के भाई गौरीशंकर शर्मा का विशेष रूप से स्वागत व सम्मान किया गया।

कार्यक्रम की पहली प्रस्‍तुति परम्‍परागत रूप से अनूप शर्मा के निर्देशन में अनुश्रुति वृन्‍द के कलाकारों द्वारा वंदना प्रस्‍तुत कर की गई, जिसकी रचना पण्डित नन्‍दकिशोर शर्मा ने की थी। सर्वप्रथम सरस्‍वती वंदना ”मां शारदे वर दे हमें तेरे चरण का प्‍यार दे” थी और इसके बाद गुरु वंदना ”गुरु देव शत शत करूं चरण वंदन” प्रस्‍तुत कर श्रोताओं को आत्‍मविभोर कर दिया। इस प्रस्‍तुति में विपिन पौराणिक, सोपान अंबाकेलकर, सत्‍यम शर्मा, अजीम अहमद, रविन्‍दर, वंदना दुबे, विनीता चौहान, वारूणी शर्मा, अंतरा वरनेनकर और सुश्री सुहानी सिंह ने गायन किया। वहीं, शशांक मिश्रा ने तबले पर एवं अनूप शर्मा ने हारमोनियम पर संगत की।  

पण्डित नन्‍दकिशोर शर्मा स्‍मृति समारोह की पहली शाम की दूसरी सभा एकल तबला वादन की रही। मंच पर नमूदार थे बनारस तबला घराने के सुप्रसिद्ध तबला वादक पण्डित संजू सहाय। अपने परिवार की छठवीं पीढ़ी के अव्‍वल दर्जे के तबला वादक संजू सहाय देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के संगीतज्ञों के साथ मंच साझा कर चुके हैं। इस समारोह में भारत भवन के मंच पर वे भोपाल के अपने चाहनेवालों से चेहरे पर मुस्‍कुराहट और शब्‍दों में प्रेम लिए मिले। पण्डित संजू सहाय ने प्रस्‍तुति के लिए तीन ताल को चुना। बनारस घराने की पारम्‍परिक बंदिशों को अपनी उंगलियों के जादू से कुछ इस तरह पेश किया कि सुनने वालों ने अपनी आत्‍मा में सदियों पुरानी थाप, सुखद अनुभव और सुदीर्घ साधना को महसूस किया। उनके साथ सुविख्यात संगीतज्ञ पंडित धर्मनाथ मिश्रा ने हारमोनियम पर संगत की।

अंतिम प्रस्तुति भोपाल की सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी सुलेखा भट्ट एवं साथी कलाकारों के गायन की रही। उन्‍होंने अपनी प्रस्‍तुति की शुरुआत के लिए राग नंद का चयन किया। मधुरता और सौंदर्यता से भरपूर इस राग में सुलेखा भट्ट ने मध्य लय रूपक ताल की बंदिश ”ढूंढू बारे सैंया” प्रस्‍तुत की। इसके बाद विदुषी सुलेखा भट्ट ने जब तीन ताल में द्रुत बंदिश ”पायल मोरी बाजे” खनकती आवाज में पेश की, तो रसिक श्रोता राग के अनुराग में डूब गए। अं‍त में उन्‍होंने कबीर भजन ”सुनता है गुरुज्ञानी” प्रस्‍तुत करते हुए अपनी प्रस्‍तुति को विराम दिया। विदुषी सुलेखा भट्ट के साथ तबले पर डॉ. अशेष उपाध्‍याय, हारमोनियम पर पुणे के उपेंद्र सहस्‍त्रबुद्धे और कौशिका सक्‍सेना एवं रितु पटेल ने तानपुरे पर संगत की।

समारोह में आज
14 नवम्बर, 2024 को कविता शाजी एवं साथी, भोपाल द्वारा मोहिनीअट्टम समूह नृत्य की प्रस्‍तुति दी जावेगी। इसके बाद डॉ. अविनाश कुमार, दिल्ली की गायन एवं शाहिद परवेज खान, पुणे सितार वादन की प्रस्तुति देंगे। कार्यक्रम के द्वितीय दिवस संगत कलाकार के रूप में तबला पर हितेन्द्र दीक्षित, हाफिज अहमद अलवी एवं हारमोनियम पर दीपक खसरावल रहेंगे। कार्यक्रम में प्रवेश नि:शुल्‍क रहेगा।

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